उपेक्षा ….

Birds - Ignorance emotional poem

स्नेह, उपेक्षा, मायूसी, विक्षोभ के इर्द-गिर्द घुमती एक कविता !!!

Birds - Ignorance emotional poemउपेक्षा

कल्पित चित्र था सुबह का ,
दो पंछी रोज आते थे ,
बरामदे पर आके चहलकदमी करते,
तेरी आवाज से वाकिफ थे दोनों,
वहीँ गमले के इर्द गिर्द खेला करते,
कुछ दाने तेरे हाथों से लेके,
उड़ जाते थे खुले आसमां में !

आज बंद खिड़कियों पर,
ताक झाँक करती रही इधर उधर,
चोंचो को गुस्से से पटका चौखटों पर,
देखा भी नहीं ; कल के कुछ दाने बिखरे थे,
वो तेरी हाथों का मिठास जानते थे,
प्रतीक्षा के कई दिवस यूँ ही बिताये,
तुमने आवाज न दी फिर,
वो मायूसी से उड़े आसमां में !

किसी गली में बेजान गिरे मिले,
उपेक्षित निष्प्राण स्नेह से वंचित !
तेरी ख़ामोशी ने उनका गला घोंटा था !

#Sujit

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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