उपेक्षा ….
स्नेह, उपेक्षा, मायूसी, विक्षोभ के इर्द-गिर्द घुमती एक कविता !!! उपेक्षा कल्पित चित्र था सुबह का , दो पंछी रोज आते थे , बरामदे पर आके चहलकदमी करते, तेरी आवाज …
उपेक्षा …. Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
स्नेह, उपेक्षा, मायूसी, विक्षोभ के इर्द-गिर्द घुमती एक कविता !!! उपेक्षा कल्पित चित्र था सुबह का , दो पंछी रोज आते थे , बरामदे पर आके चहलकदमी करते, तेरी आवाज …
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