जीवन में एक अवसर मिला अपने राज्य और क्षेत्र के सांस्कृतिक धरोहर को समझने का और उसके लिए कार्य करने का ; एक छोटा सा प्रयास कर रहा हूँ अपने आस पास के कुछ महिलाओं को इस कला से जोड़ने की ; इस कला से जुडी कुछ बातें !
मंजूषा कला के बारें में ~
मंजूषा कला अंग प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर है ! मंजूषा चित्र कला अंग क्षेत्र के लोकपर्व बिहुला-विषहरी पर आधारित है, ये एक पारम्परिक लोककला है जो पौराणिक समय से चली आ रही ! सिंधु घाटी सभ्यता के समय इस लोककला के विकसित होने के प्रमाण है ! मंजूषा कला को विश्व की प्रथम कथा आधारित चित्र कला माना जाता है ; मंजूषा कला में तीन रंगों का प्रयोग होता है ये है हरा गुलाबी और पीला ! इसे अंगिका चित्रकला भी कहते है जो आधुनिक समय में भागलपुर क्षेत्र के रूप में विख्यात है ! मंजूषा कला में बॉर्डर धार्मिक चिन्हों और x रूपी आकृति में पात्रों को दर्शाया जाता है ! साँप भी प्रमुखता से इस कला में उपयोग होता है !
मंजूषा कला से जुडी लोकगाथा –
कहते है की भगवान शिव एक बार चंपानगर के तालाब में स्नान करने आतें है और उसी समय उनके पाँच बाल टूटकर कमल पर गिरते जो पाँच कन्याओं का रूप ले लेती और ये कन्याएँ शिव जी की मानस पुत्री कहलायी ! इन पाँच कन्याओं को मनसा कहते है ; इन्होंने शिव जी से विनती की इन्हें संसार पूजे तो भगवान शिव ने कहा अगर चंपानगर का सौदागर चंदू जो मेरा भक्त है अगर वो तुम्हें पूजे तो संसार भी पूजने लगेगा ! मनसा चंदू सौदागर पर दवाब बनाती की वो उसे पूजे ; लेकिन ऐसा होता नहीं ! मनसा देवी को सर्प और मायावी शक्तियाँ थी ! मनसा देवी कुपित हो चंदू सौदागर को दंड देती उसके सारे पुत्रों को डश लेती और सभी पुत्रों की मृत्यु हो जाती ! फिर चंदू सौदागर को शिव जी वरदान से एक पुत्र मिलता जिसका नाम बाला था ; उसका विवाह बिहुला से होता ! शादी के पहले रात ही ; मनसा बाला को नाग से डसवा देती और उसकी भी मृत्यु हो जाती ! बिहुला को अपने पतिव्रता धर्म पर पूरा भरोषा होता और वो एक नाव में मंजूषा (एक साज सज्जा से भरी आकृति ) में अपने पति को ले नदी मार्ग से चल देती ; काफी बाधाओं से लड़ वो भगवान से अपने पति का जीवन वापस पाती ; और अंत में अपने ससुर चंदू सौदागर को भी मना लेती की वो मनसा की पूजा करें !
मंजूषा कला इसी गाथा का चित्र रूपांतरण है !
मंजूषा कला को संजोने के अनेकों कार्य हो रहे ; सरकार का प्रयास उदासीन ही अभी तक रहा है ; कलाकारों बिना उचित पारिश्रमिक के इस कला से नहीं जुड़े रह सकते, कला के व्यवसायिक उपयोग के संभावनाओं की तलाश करनी होगी ! इस कला के इंटरनेट प्रचार प्रसार में कुछ प्रयास कर रहा हूँ ! वेबसाइट और मोबाइल एप्प के माद्यम से इस कला को लोगों तक पहुँचाने का प्रारम्भिक प्रयास है मेरा ~
वेबसाइट – www.manjushakala.in
मंजूषा कथा चित्र – http://manjushakala.in/manjusha-katha/
एंड्राइड एप्प – Manjusha Art on Google Play
फेसबुक – Manjusha Art on Facebook
यूट्यूब – View Videos of Manjusha Art on YouTube
कुछ मेरे द्वारा बनाई गयी मंजूषा चित्र – #Sujit






– Sujit
Very nice collection and art, Sujitji.
शुक्रिया सराहना के लिए !!