लेखकों के पुरस्कार लौटाने की परम्परा से असहमत हूँ ; आप समाज और सरकार से असंतुष्ट होने पर बस अपना पुरस्कार लौटा अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे ; आप समाज देश बदलने के लिए रचनायें लिखिए । लेखक है तो जन चेतना का कार्य कीजिये ! कलम को बस लिखने की जरुरत है ; आशा निराशा द्वेष असहमति सब इस कलम से व्यक्त कर सकते ! एक रचना इसी भाव से ..
कलम है तो चेतना लिखें ;
कभी विषाद और वेदना लिखें ।
प्रखर स्वर कर अपनी ;
कलम कभी अवहेलना लिखें ।
शोषण और क्षोभ पर उठ;
कलम अपनी संवेदना लिखें ।
मंद पड़ते उत्साह पर ;
कलम नई प्रेरणा लिखें ।
ठंड सी हो चली लहू में ;
कलम शौर्य की गर्जना लिखें ।
मृत है ये साज और श्रृंगार ;
कलम अमर है ऐसी कामना लिखें ।
#Sujit