लाइक की दुनिया कितनी बड़ी हो गयी है न ; रोज फोटो पर लाइक, उदासी पर लाइक, रोने पर भी लाइक, लाइक लाइक जैसे सब हाल चाल पूछ रहे फोटो पर लाइक देके, बिना कुछ कहे ! कभी ज्यादा लाइक के बीच में वो एक लाइक खोजता अलग वाला लाइक ; ये अलग वाला लाइक हाँ तुम्हारा लाइक ; कभी कभी तुम्हारे लाइक नहीं आने तक बाँकी सारे आये लाइक मुझे नापसंद से लगते !
मेरे ऑनलाइन रहने तक तुम भी ऑनलाइन थे, पर मैं सोच रहा था की वो तस्वीर अभी तक तुमने देखी या नहीं, वो ट्व लाइनर्स मेरे मन में उपजी बात, ग़ालिब से इंस्पायर्ड तो नहीं बस ऐसे मन में आया तो लिख दिया तुमने पढ़ा की नहीं, पढ़ा तो वो बात जो उसमें थी, जैसा मैंने सोच के लिखा वैसा तुमने सोच के पढ़ा की नहीं ! इन सब की गवाही तो कौन देगा ~ तुम्हारा वो एक लाइक ! जो हर पोस्ट को अलग कर देता, उसके अर्थों को और निखार देता, लिखने की सार्थकता का प्रमाण बन जाता ! वो भी जब मायूस हो जाता की अनुसना हो गया मेरा लिखा तब मेरे जाने के बाद, अकेले सन्नाटे में तुम निहारते होगे शायद, उसके शब्दों के तारों को कहीं से जोड़ते होगे और फिर अपनी पसंद की स्वीकृति देते होगे ! और फिर रात के लम्बे इन्तेजार के बाद का सुबह कुछ खास होता, उन कई लाइक के बीच तुम्हारी पसंद को कई बार देखता, पुष्टि करता की हाँ ये पसंद तुम्हारी ही है !
कभी कभार लम्बा सुख पड़ जाता जैसी लम्बे अरसे से बारिश की आस में खेत, उम्मीद से बोझिल आँखें लिए .. लम्बे अरसे तक न उन शब्दों को तुम निहारते न किसी तस्वीरों को अपनी नजर देते और ऐसे एक दिन लम्बी बारिश, बाढ़ की तरह लौटते हो पिछले कई महीनों से पड़े सारे तस्वीरों सारे शब्दों में फूँक देते हो एक जान, जीवंत काव्य हो उठते है सब ! और उस दिन कितने ही लाइकस एक साथ जैसी और कोई चाहता ही नहीं इतना !
लाइक नहीं करना भी बिना दर्ज किया हुआ एक लाइक ही है ! मेरे लाइक करने के और भी मायने थे और है ! मैं एक दिन लौटुँगा पुराने सारे बिना लाइक के चीजों को लाइक करने इन्तेजार हो सके तो करना ….
Inbox Love Bring By – Sujit
nice post i like it
Thanks !