क्या खुद के विश्वास पर भी ..
अविश्वास किया जा सकता !
उहापोह है इस प्रश्न पर ..
अंतर्द्वंद भी बोझ भी !
बहुत बड़ा रंगमंच है;
इस ओर से उस ओर,
कुछ महसूस नहीं होता,
ना जान परता किरदारों
से किरदारों का कोई रिश्ता !
डूब जाता हूँ मुखौटे से लगे चेहरे में,
भूल जाता उसके पीछे के किसी इन्सान को,
नई कहानियों में चला जाता कहीं दूर,
सहसा बदल जाता सब कुछ,
मिलता एक नया मुखौटा ;
कथानक का नया धरातल,
उसमे फिर डूबने को दुबारा,
कोई नहीं जान पाता उस पीछे छुपे चेहरे को,
अपारदर्शी निरंतर बदलते रहते मुखौटे के पीछे,
विवश से चेहरे असंतुष्ट से,
निभाये जा रहे हर किरदार !
शिकायत है उसे कथाकार से,
नहीं बदल सकता इतना चेहरा,
कुछ बनावटी किरदारों से उसे प्यार है,
ख़ुशी मिलती उसे वैसा जी के !
कब पटाक्षेप कभी करतल..
बहुत बड़ा रंगमंच है ये जिंदगी !!
#SK in Night & Pen ………
3 thoughts on “बहुत बड़ा रंगमंच है ये जिंदगी !!”
kabira
(March 6, 2014 - 4:30 am)well said, nice lines..ख़ुशी मिलती है हमें वैसा जी के…..!
Sujit Kumar Lucky
(March 6, 2014 - 7:00 pm)shukriya dost !
#SK – 100 Poems in 2014 : Rewind & Revival !! | Sujit Kumar Lucky
(December 13, 2014 - 7:59 pm)[…] बहुत बड़ा रंगमंच है ये जिंदगी !! […]
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