इस शहर . . उस शहर,
जिन्दगी होती बसर,
रेत मिट्टी धूलों का रस्ता,
सबकी मुझको है खबर ।
एक मुट्ठी आसमां,
आँखें करती सब बयाँ,
नींद ख्वाब मन को डंसता,
होती मुझको सब फिकर ।
चेहरा चेहरा फिर से ठहरा,
बात बोली नयी नवेली,
लौटी बातें लम्बी रातें,
आँगन में सब बैठा हँसता ,
सबकी मुझको करनी जिकर ।
फिर कुछ कदम कुछ लेके दम,
थोड़ा नम कुछ कम होता गम,
कटता रहता तेज वक़्त बहता,
कौन मेरा अब रह गया रह्गुजर ।
जिंदगी अब रह गयी इस शहर .. उस शहर ।
#SK
फिर कुछ कदम कुछ लेके दम,
थोड़ा नम कुछ कम होता गम,
कटता रहता तेज वक़्त बहता,
कौन मेरा अब रह गया रह्गुजर ।
बिलकुल ! एकदम सटीक और यथार्थ शब्द