देखो ख़ामोशी का मौसम फिर आया,
थोड़ी मायूसी संग फिर लौट आया ।
बुँदे बिखर कर अब कुछ ना वो बोले,
अब मेरी खामोशी कैसे लब खोले ।
बेरुखी धुप अब निकल कर आयी,
तेरी याद भी बिखर कर ही आयी ।
पतझर में जैसे मन ने उतार दिया हर लिबास,
और धीरे धीरे मन की हर छुट गयी आस ।
झाँके जा के हर आहट पर हो कोई,
फिर ना आये इस मौसम भी कोई ।
सावन बीती मन तो अब शिशिर संग डोली,
सुबह की धुप खिली शाम की ओस हुई रंगीली ।
यादों का मौसम फिर लौट आया,
ख्वाबों का बादल फिर से है छाया ।
देखो ख़ामोशी का मौसम फिर है आया ।
#SK
झाँके जा के हर आहट पर हो कोई,
फिर ना आये इस मौसम भी कोई ।
सावन बीती मन तो अब शिशिर संग डोली,
सुबह की धुप खिली शाम की ओस हुई रंगीली ।
सुन्दर