अधूरा अक्स ..

incomplete-soul

अब सुबह की दो बातें,
और रातों में उलझनों का बयाँ,
क्या शायद तकलीफ दे रही थी !

कुछ दिन पहले ही तो खामोशी के,
कई परतों को खोला था हमने,
और सदियों के इंतेजार पर,
वो दो टुक बस लिखना तेरा जवाब,
फैसला और फासलों जैसी बातें,
कितना कुछ था उसमें समाया !

वो संवाद आदतन कब तक चलता,
इक दिन घुटन सी महसूस सी हुई,
कुछ दिनों के लिये नब्जों को रोक दिया !

इंतेजार तो ताउम्र ही करना था,
और फिर धड़कन की आवाज ने,
फिर खामोशी तोड़ दी !

परती जा रही गिरह को,
एकतरफ सुलझा सा लिया मैंने,
बेमन सी बातों का समझौता,
कुछ मुस्कुराहटों के लिये काफी था !

उस दिन फिर उदास सी शाम को,
इक वजह थी ..
फिर किसी इक नये ख्वाब को सजाने की !

कुछ हवाओं ने उठकर जरुर घुटन कम की,
धुल से सने चेहरों पर फिर भी काबिज थी दरारें !

फिर बुलाते पुराने शब्दों से,
करते जिक्र, कुछ बातें..तारीफों के दो लब्ज़ !
पर मेरा अधूरा अक्स.. वहम तले था !

Poem : – सुजीत

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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