कई अधूरी कवितायेँ है ….

unfinished-poetryकई अधूरी कवितायेँ है पड़ी,
कुछ की लिखावटें धुल गयी,
कुछ की स्याही फीकी हो गयी !

कुछ शब्दें थी जो हर सुबह आस पास
लिपट जाती थी जैसे वो रोज की जानी पहचानी
चिडियाँ बरामदे पर आके कौतुहल करती थी,
उसके ही कलरव स्वर थे शब्द मेरे !

अब स्तब्ध सुबह ना कुछ कहते है ना सुनते,
वो सुबह की नज्म शाम तक बाट जोहती है,
नींद जो घोट देती है दम को उठते मन के शब्दों को !

कुछ शब्दें बेमानी भी हो गयी अब,
कुछ को साथ ना मिला वो अधूरी ही रह गयी,
यादों का शोर कम रहा होगा !

कर्कश से शब्दों से बन नहीं परती,
कई अधूरी कवितायेँ है पड़ी !

ना लब्ज है .. ना अहसास है,
बेआवाज सी .. बिखरी हुई ..
कई अधूरी कवितायेँ है पड़ी !

~ सुजीत

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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One Comment on “कई अधूरी कवितायेँ है ….”

  1. कई अधूरी कवितायेँ है पड़ी ! behad khoobsurat

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