साख से कैसे छुट गया ये पत्ता,
इतना भी पुराना तो रिश्ता नहीं,
उम्र भी नहीं था रंग भी थे अभी भरे,
दरख्त ने गिरा दिया इसे कैसे !
अनेकों साखों में इसे हँसी मिल जाती,
वही रह ही जाता झुरमुटों में खोकर कहीं,
कैसे जमीं पर बिखर कर पर गया अकेला !
हाथों से इसे उठा लिया मैंने,
अपना सा लग गया जमीं पर परा वो,
सजा के कुछ देर देखा जी भर इसे,
इसे इक मुकाम मिल गया हाथों में,
शब्दों से मैंने फिर इसे जिंदगी दे दी !!
Thought Behind: One day I found a leaf laid on ground, I took it in hand, I kept it in front of me. Then painted above as imagination of mine, how a tree left this leaf falling … #SK – Insane Story !!