मैं कई बार .. कई बार
पढ़ रहा हूँ तेरे शब्दों का
इक हिस्सा !!
पुरे भी नहीं है वो,
शायद वक्त की कमी,
या मन में उधेरबुन रहा होगा ??
कई कई बार वापस शब्दों को,
इधर उधर पलट रहा ..
सारे मेरे कई सवालों के ये,
नायाब तोहफे से मुझे लगते ये !
उसी कम शब्दों में से कुछ हिस्से,
मैं रख लेता बचाकर ..
क्या जाने बेरुखी कितनी लंबी हो फिर !
टूटते पलों को नजाने कैसे,
इक साख सा मिल जाता,
वो थोरे शब्द इस तरह है !
मैं कई बार .. कई बार
पढ़ रहा हूँ तेरे शब्दों का
इक हिस्सा !!
Some Pieces of Words – Sujit