बारिश के बाद सुबह की धुप को महसूस कीजये, पेड़ों के बीच से निकलती धुप की किरणें, मन को एक सुकून देती, एक असीम ऊर्जा लेके आती रोज नई सुबह ! एक लघु कविता इस संदर्भ में …
पौ फट रही ;
पेड़ों की ओट से निकलती हुई,
झुरमुटों में हो रही उजली पीली रौशनी ;
हवाओं में भर रही रागिनी ;
विहंग सब उन्माद में ;
मुंडेरों पर जमात में ;
एक दूसरें पर कूदे-फाने;
बारिशों से भींगे अब सूखे ;
फिर से धुप से खिल के आई सुबह ;
नींद का सब वहम है टुटा ;
जीवन फिर सब रंगों से लौटा ;
पौ फट रही ।
Poetry by : Sujit