लॉकडाउन – बच्चों की पढाई ( #DadsDiary)

इस महामारी के उहापोह ने पिछले वर्ष से सब कुछ अस्त व्यस्त कर दिया है , जहाँ बच्चे प्ले स्कूल खत्म कर नए सत्र में अध्यापन शुरू करते वहाँ बन्द कमरों में सिमटे हुए है , अत्यधिक टीवी मोबाइल उनके मानसिक स्वास्थ्य को भी हानि पँहुचा रहा । जरूरी है उनको रचनात्मक रख इस कठिन समय मे उनके बाल मन को इस महामारी के दुष्प्रभावों से बचाना । उनके दिनचर्या को बनाये रखना अभिभावकों के लिए भी चुनौती है ।

Kids Practice Worksheet

स्कूल / प्ले स्कूल नहीं जाने के कारण कई बच्चे इस साल भी कोरोना महामारी के कारण अपनी पढाई शुरू नहीं कर सके अब अभिभावक क्या करें | कुछ बातें घर पर इस लॉकडाउन में हम सभी अभिभावक जरूर कर सकते |

  • एक दिनचर्या बनाये जैसे सुबह शाम बच्चों के साथ पढाई के लिए खुद समय दें उनको |
  • रचनात्मक ढंग से करे पढाई की शुरुवात |
  • रंग, पेपर, ऑब्जेक्ट इन सबके साथ उनको सहज करें |
  • हँसते खेलते माहौल में उनको सिखाने का प्रयास करें |
  • आस पास की चीजों जैसे पशु पक्षी, सब्जी, फल, पेड़ पौधे अन्य चीजों के उदाहरण से पढाई को जोडें |
  • पढाई को बोझिल न बनने दें बच्चों के लिए |
  • कुछ मोबाइल एप जैसे शिशु विद्यालय से शुरुवात कर सकते , फिर उसी तर्ज पर मोबाइल टीवी से हटकर अवश्य रूप से पढने का दिनचर्या बनाये बच्चों के लिए |
  •  बच्चों की जिज्ञासा को बढाने का प्रयास करें |

शिशु विद्यालय मोबाइल एप लिंक- https://play.google.com/store/apps/details?id=com.shishuvidyalay&hl=en_IN&gl=US

वर्कशीट और रंगों के माध्यम से बच्चों में कौतुहल जगाना जरूरी है जिससे पढ़ाई एक बोझ न लगे आरंभ से ही उन्हें ।

इन साईट को विजिट कर आप फ्री प्रिंटेबल डॉक्यूमेंट प्राप्त कर सकते जिससे आप अपने बच्चों को इस लॉकडाउन में घर रचनात्मक ढंग से पढ़ाने का प्रयास कर सकते |

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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