सुबह को ये गुमां था

आज की सुबह को ये गुमां था ,
कोई उसे भी देख मुस्कुराता नजरे झुकाए !
चुप सा रह जाता ..ये सोच
ये तो अल्हर फिजाए है जो भर देता उसे हर रोज,
ये बातें भी महकती हवा सी है,
बावरी हो उठती, और ले जाती कहीं दूर सी,
और सुबह का ये गुमां, टूटता ,
जैसे धुंध में लिपटा आसमान,
खिल रहा हर पहर के साथ साथ..
भ्रम सी उलझी बात लगती …
फिर वही हँसी गूंज जाती नीली आसमानों में..
नजरे झुकाए !
@Lucky

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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