शब्दों का तूफान थमता नहीं ..
रुकता नहीं लौटता है ..
जैसे पंछी लौट आते है प्रवास से,
जरुर .. कुछ देर सिमट सा जाता ..
मौन होता .. चुप नहीं होता ;
वो कहता है .. अनुसना कितना भी ;
ये जिस्म थककर स्थिर हो जाता;
जख्मों आते और भर जाते,
लेकिन मन निरंतर चलता ..
अनवरत सफर पर अपने ..
घटाओं के संग .. वो बरसेंगे ..
गम में गमगीन हो लेंगे ..
इंतेजार में यादों में खो लेंगे ;
कभी चुपचाप हो रो लेंगे ..
शब्द लौटेंगे .. शब्द लौटेंगे !!
सुजीत