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आओ फिर बच्चे बन जाये …..
ले फिर गुलाटीयाँ, और फिर करतब करें । बंदर का खेल, और भालू बन डराये । सीखे फिर ककहरा, और बोले तोतली जबान । बाल को खींचें, और मुँह चिढ़ाये …
आओ फिर बच्चे बन जाये ….. Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
ले फिर गुलाटीयाँ, और फिर करतब करें । बंदर का खेल, और भालू बन डराये । सीखे फिर ककहरा, और बोले तोतली जबान । बाल को खींचें, और मुँह चिढ़ाये …
आओ फिर बच्चे बन जाये ….. Read Moreबचपन का एक कौतुहल जो हर बच्चा अपने माँ के आँचल में सीखता, चेहरा छुपाना, फिर शरारत भरी नजरों से देखना की सब उसको देख रहे या नहीं, कभी कभी …
लुका-छुपी …. Read Moreबचपन में इस मंदिर में आके हाथों को ऊपर करके इसे छूने का प्रयत्न करते थे ; तभी पीछे से कोई आके गोद में उठा के हाथों को पहुँचा देता …
मंदिर की घण्टियाँ ….. Read MoreYour little face ; Like a flower in the morning ; You might recognize me from afar ; When I see you, as hiding your head in the lap of …
Your Little Face …. Poem for Little One !! Read Moreयूँ बार बार तकते कुछ उस ओर,कहीं कुछ आहटो पर भाग के जाते.. जैसे फिर घंटो नजरो लगाये उस सुनसान राहों पर ,जैसे कोई कह गया हो, वापस आने को …
अपना बचपना गया नही .. Read More