ये मौन रिश्ता ..कैसा ?
जो अब कभी बयाँ ना होगा,
जो सुना नहीं जा सकता..
या मौन जिसके शोर में,
बहुत कुछ स्तब्ध सा हो गया !
एक मौन अनुमति इन शब्दों को भी है,
खो जाये कहीं, चले जाये कहीं;
जहाँ इन्हें पनाह मिल जाये !
एक मौन सहमति मान चुका,
यतार्थ है क्या जान चुका !
ये मौन सभी बंदिशों से निकलता,
आगे अनंत की और जा रहा .. कैसा ?
वो अनंत ज्ञात नहीं है ..
क्या कोई प्रकाश पुंज होगा,
पर ये मौन हर विवशताओं को तोड़ रहा !
क्या क्षमा .. और क्या ग्लानि,
ना ही कोई संदेह इस मौन में,
ये मौन रिश्ता..
बस कुछ शब्द देना कभी इसे,
ये जीवंत हो जायेगा !
#SK