दुआ लब्जों में समेटे,
दिल में कई जस्बात है !
ना रूबरू हो सके कभी,
इस सफर में ना कोई पास है !
कुछ शर्त ना थी साथ आने की,
ना अजनबी होने की कोई बात है !
ना कुछ अकेले में गुफ्तगू हुई कभी,
अब क्या बताये क्या राज की बात है !
आइना देख टुटा लगा हमें तेरा चेहरा,
चैन ना हुआ एकपल क्या मेरे जस्बात है !
कुछ वहम था वो जो टूट गया,
लौटी ख़ुशी ऐसे ही तू साथ है !
बीता जो वक़्त वो यादों का मौसम था,
जाने इस बरस की क्या क्या सौगात है !
This Year, Holidays may end, But the Memories won’t… #SK