एक चेहरा है ;
जो एक दफा दिख जाता ;
कोई भाव नहीं उभरता,
कभी थोड़ा सा आंखों से एक टक देख,
किसी संवेदना को बिना उकेरे ।
कोई मौन आकर्षण हो शायद ;
उससे सामान्य से संवादों में ;
कुछ अतीत का अपनापन उभरता है,
कुछ संबंधों की सुगबुगाहट सी लगती,
या है ये बस मन में किसी अधूरे संवादों
की पुनरावृति का भ्रम ।
कोशिश करता है मन ;
चेहरों की भीड़ में भुला दें,
पर हर रोज .. एक दफा दिख जाता,
वो चेहरा ।
SK #ISHQ