इश्क़ के कुछ रंग ऐसे भी ..
वो सुई धागों में उलझी उलझी कहीं,
कुछ नए रिश्तों में टाँके लगा रही थी !! #इश्क़
पायलों को नहीं है तहजीब का असर,
तुम पांवों को कहो आहिस्ता से चले । #इश्क़
बहुत ही कर ली हमसे शिकायतें तुमने,
थोड़ा इस वक़्त को भी दोष दो दूरियों का ।
#इश्क़
गुमशुदा हो तुम कहीं, वक्त के पहलुओं में,
मैं तुमसे पूछता हूँ तेरी तलाश कैसे करूं ? #इश्क़
ये रात .. ये याद .. कुछ तुम .. कुछ हम ..
जाने दो आज नज्म ना बनेगें; तेरी खामोशी में सब धुल सा जाता है जहन से !! #इश्क़
यूँ जो तुम गले लगते,
पता नहीं इसे तुम क्या कहते,
मैं तो इसे जिंदगी कहता हूं ।
#इश्क़