हेलो ..
किसी ख्यालों से निकल कर अभिवादन तक जाता उसके पहले ही ;
नमस्कार मिस्टर कवि ;
उत्तर में “हाय”
कोई कवि सब नहीं हूँ ,
अच्छा फिर इतनी कविताएँ ।
वो मन में जो आता लिख लेता ;
कोई कवि सम्मेलन मैगज़ीन पत्रिका वाला नहीं हूँ ।
कुछ झिरकते हुये कहा ।
अच्छा फिर कैसे कवि ?
वो “इन्सेन पोएट” जैसा ;
मन से लड़ता और लिख देता ।
विषयान्तर के साथ फिर कुछ सवाल ..
छोड़ो ये सब , इतनी रात को सोये नहीं !
बेमन से जवाब देते हुए ~ नहीं किसी के जवाब आने का इन्तेजार कर रहा ! रोज ही करता !
तो जवाब आता ?
नहीं ..
ये ऑफलाइन चैट बंद करके रखने पर कोई क्या जवाब देगा ?
नहीं वो ठीक है । पता है उन्हें , मौजूदगी महसूस हो जाती ! ऑफलाइन रहने पर भी !
ऐसे अनजाने संवाद का मन भी नहीं था , बस प्रतिउत्तर में कहे जा रहे थे ।
उपहास और व्यंगय था जैसे “तो अब भी जवाब आया या नहीं ” ??
नहीं .. के साथ पसरती ख़ामोशी बीतते रातों के साथ संवाद पर छाती चली गयी ।
Inbox Love Bring By – Sujit
मौजूदगी महसूस हो जाती ! ऑफलाइन रहने पर भी !
मौजूदगी महसूस हो जाती ! ऑफलाइन रहने पर भी ! 🙂