डायरी ही थी अपनी बातों का ,
मेल बॉक्स के कोने में संदेशों के प्रवाह का छोटा सा चैट बॉक्स !
हरे रंग का चिन्ह तुम्हारे होने का और आने का ;
मैं वाइट इनविजिबल …जैसे हूँ भी .. नहीं भी.. !!
कभी ठिठक सा जाता था देख के लाल रंग के चैट स्टेटस के साथ उस नाम को ;
या तो होते थे या नहीं ; हाँ कभी कभार तुम्हें देखा था !
“डोन्ट डिस्टर्ब” लिख के बैठे लाल बत्ती से जहाँ सब रुका हुआ सा लगता था और हमेशा पूछ ही लेता था क्यों नहीं करे डिस्टर्ब ??
अरे नहीं …
बस ऐसे ही …
आपके लिये नहीं , कर सकते कभी भी ।
रोज एक नया कौतुहल था जानते क्या ?
माउस को तेरे नाम पर होवर करके देखना क्या आज वहाँ कुछ नया लिखा है जैसे …
“माय लाइफ माय रूल्स”
“हैप्पी इन माय ओन वर्ल्ड”
“लीव मी अलोन”
“साइलेंट”
“ब्लेंक”
और कभी कभी केवल स्माइली का गुच्छा । अक्सर ही बदलता रहता था कभी कभी महीनो वही परा रहता था ; अब तो यादें भी धुंधली हो गयी नजाने क्या क्या लिखा था कब से ।।
ऐसे ही सब कुछ बदल गया ना ..
स्मार्टफोन .. वो गूगल चैट हैंगआउट हो गया ।
पर मैंने चैट को हैंगआउट नहीं बनने दिया !
उस चैट विंडो में अब भी कुछ बातें रखी है ।
वो ऑरेंज वाला रोबोट स्टेटस ना बड़ा फीका सा है ; ऐसा लगता की दूर जा के खो गया है कोई ;
कोई दिन रात कब जाने कौन है नहीं है … इसने वो ग्रीन रेड इन्तेजार गुस्सा सब सिलसिला ही खत्म कर दिया ।
हाँ ये सबकी मौजूदगी का अहसास कराता रहता है ! बस ऐसे जैसे … खामोश ही सही कोई आसपास तो है ।
Inbox Love Bring By – Sujit