नये नये कपड़ों में लिपटकर चला आता ;
वही पुराना जिस्म फिर से संवर जाता ।
उतार कर हर तकलीफे वो इस तरफ आता;
कुछ पल की उम्मीदें अपने साथ ले जाता ।
कुछ बदल कर चेहरों की सिलवटें ;
हाथों की लकीरें मिटा कर आता ।
कल क्या हो पल में सब बिखर जाता ;
कोई खफा है कोई नजर चुरा जाता ।
कोशिश करता लौट कर आने की ;
क्या सोच कर कोई वहीं ठिठक जाता ।
मन बोझिल भी हो वो रोज समेट आता;
वही पुराना जिस्म फिर से संवर जाता ।
#SK
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