अटल बिहारी वाजपेयी – राजनीति की आपाधापी से दूर …

Atal Bihari Vajpayee

अटल जी का व्यक्तित्व प्रखर रहा है ; जब वो सक्रिय राजनीति में थे उनको राजनैतिक सभाओं में सुनने का अवसर मिला था ; शांत चित्त संवेदनशील, बेबाक वक्ता, एक कवि ! उनकों सुनना हमेशा से प्रेरणादायक रहा ! राजनीति में अनुशासन और गरिमामय आचरण के वो हमेशा प्रतीक रहे हैं !

उनके संवेदना के स्वर से एक कविता

ज़िंदगी के शोर,
राजनीति की आपाधापी,
रिश्ते-नातों की गलियों और
क्या खोया क्या पाया के बाज़ारों से आगे,
सोच के रास्ते पर कहीं एक ऐसा नुक्कड़ आता है, जहाँ पहुँच कर इन्सान एकाकी हो जाता है…
… और तब जाग उठता है कवि | फिर शब्दों के रंगों से जीवन की अनोखी तस्वीरें बनती हैं…
कविताएँ और गीत सपनों की तरह आते हैं और कागज़ पर हमेंशा के लिए अपने घर बना लेते हैं |
अटलजी की ये कविताएँ ऐसे ही पल, ऐसी ही क्षणों में लिखी गयी हैं, जब सुनने वाले और सुनाने वाले में, “तुम” और “मैं” की दीवारें टूट जाती हैं,
दुनिया की सारी धड़कनें सिमट कर एक दिल में आ जाती हैं,
और कवि के शब्द, दुनिया के हर संवेदनशील इन्सान के शब्द बन जाते हैं !

Samvedna : Atal Bihari Vajpayee

क्या खोया क्या पाया जग में, मिलते और बिछड़ते मग में
मुझे किसी से नहीं शिकायत, यद्यपि छला गया पग पग में
एक दृष्टि बीती पर डाले यादों की पोटली टटोलें
अपने ही मन से कुछ बोले-अपने ही मन से कुछ बोले

पृथ्वी लाखों वर्ष पुरानी, जीवन एक अनंत कहानी
पर तन की अपनी सीमाएं, यद्यपि सौ सर्दों की वाणी
इतना काफी है अंतिम दस्तक पर खुद दरवाज़ा खोलें…अपने ही मन से कुछ बोले

जन्म मरण का अविरत फेरा, जीवन बंजारों का डेरा
आज यहाँ कल वहाँ कूच है, कौन जानता किधर सवेरा
अँधियारा आकाश असीमित प्राणों के पंखों को खोले…अपने ही मन से कुछ बोले

क्या खोया क्या पाया जग में, मिलते और बिछड़ते मग में
मुझे किसी से नहीं शिकायत, यद्यपि छला गया पग पग में
एक दृष्टि बीती पर डाले यादों की पोटली टटोलें
अपने ही मन से कुछ बोले-अपने ही मन से कुछ बोले !

उनके दीर्घायु की कामना के साथ जन्मदिन मुबारक अटल जी को !

#Sk

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

View all posts by Sujit Kumar Lucky →