Morning Again ..!
शब्द जब रंग मंच पर उतरे !अपने अपने किरदार को खेले ! में खरा वहाँ मुसकाता रहा, हर उलझन को सुलझाता रहा ! ये आहट किस और से आती है …
Morning Again ..! Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
शब्द जब रंग मंच पर उतरे !अपने अपने किरदार को खेले ! में खरा वहाँ मुसकाता रहा, हर उलझन को सुलझाता रहा ! ये आहट किस और से आती है …
Morning Again ..! Read Moreएक अल्ल्हर बातें है जैसे, सपने का पलना हो जैसे !अठखेली हवाओं जैसी !बावरी मन चंचल हो जैसी ! आशाओं की डोरी सी !बातें करती पहेली सी, एक तस्वीर …. …
अल्ल्हर बातें ! Read Moreएक संगीत कभी सुमधुर तानो भरा,कभी अनसुना विस्मित रागों सना ! एक हँसी कभी खुशी लहरों भरा,कभी व्यंग्य के उपहासो से जना ! एक क्रंदन कभी नयनों में भरा !कभी …
जिंदगी आखिर जिंदगी ही है.. Read MoreThe Age of Orthodox thinking…But where we stand; Our Country lost the credentials of New Facet of Innovation. Are we facing the Mind Drain or Influenced with Amplification of Physical …
4th Floor Thoughts ! Read Moreपलायन क्यों … साढ़े साती सुबह, अलसाती कम्बल, कोई गीत की धुन टकराएँ ऐसे.. तन से मन को वहाँ खीच ले गए जैसे, है ये कौन सी, व्यथा या झूठा …
पलायन क्यों ?? Read Moreमेरे सपनों को जलने दे, यूँ ही मुझे सुलगने दे ! तेरी नियत से क्या वास्ता मेरा, तू पत्थर है, हर कदम गिरने वाला, में इंसान हूँ हर पल सम्हलने …
इंसान हूँ हर पल सम्हलने वाला Read More