अमरलता के बेले और पेड़ – 100th Poem
चहकती थी हर उस डाल पर बैठी पंछियाँ, अब पतझर सा लगता , एक ठूंठ सा खरा पेड़ ! बड़े सुने सुने से सुनसान सा प्रतीत होता , ना झूले है उस पर, यूँ …
अमरलता के बेले और पेड़ – 100th Poem Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
चहकती थी हर उस डाल पर बैठी पंछियाँ, अब पतझर सा लगता , एक ठूंठ सा खरा पेड़ ! बड़े सुने सुने से सुनसान सा प्रतीत होता , ना झूले है उस पर, यूँ …
अमरलता के बेले और पेड़ – 100th Poem Read Moreकैसे सावन आये तुम बिन गहने !छितिज धरा सब धुल उराये,नभ के बदल बन गये पराये, उमड़ घुमड़ तुम आते ऐसे !कसक मन की भी जाती जैसे,जग चर की तुम …
बरसों सावन – Waiting For Rain Read Moreये तिमिर घना चहुओर है फैला,हर रोज सोच से रूबरू एक चेहरा,इन शोरों में दर्प फैला है गहरा ! हर तरफ बिफरा है शोर !जो हँस रहे जितना ,उतना उनको …
आयेगा एक दौर – Dawn After Dark Night Read Moreखिड़की की ओर नजर ले जाओ,धुँधली सी तस्वीर बनाओ ! देखो तुम जब नजर फिराये,हर चीज भागे बन के पराये ! रातों में फैला कल का एक शोर,पाषाण राहों में …
ये रात की रेल – A Night Train Read Moreवो कहते थे ये शहर है, ऐसा !करीब से देखिये शायद जान जायेगें ! कब तक यूँ मुसाफिर रहते !एक पराव एक आशियाँ तलाशा ! अब इस कदर बस गयी …
ये शहर ! Read Moreयाद उतनी ही है तेरी इस जेहन में बसी,जैसे तेरी उँगलियाँ छु चल पड़ा इन राहों में ! और ना तुने रोका, कुछ तो कहा होता..में इन राहों में चलता …
क्योँ नही बहलाती मुझे माँ ! Read More