Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज
4 thoughts on “शब्दो के दरमियाँ फासले बहुत थे – A Random Thoughts”
Kulwant Happy
(March 7, 2010 - 11:52 am)अच्छा है संवाद अच्छा..टेम्पलेट अच्छा है, पिक्चर अच्छा है।
” वो पास से गुजरे पलट क्र भी नही देखा,
हम कैसे मन ले की वो दूर जाके रोये …”
ये भी बेहद अच्छा है।
Udan Tashtari
(March 7, 2010 - 1:31 pm)बहुत बढ़िया.
सुलभ § सतरंगी
(March 8, 2010 - 5:24 am)Hmmm 🙂
पंकज "सानिध्य "
(March 17, 2010 - 6:09 pm)ATI SUNDAR ABHIVYAKTI
SHUKRIYA VICHAR BHAVON KO BAANTNE KA
SAMAY HO TO MERI POEMS PADHNA
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