मसखरे की ख़ामोशी का क्या

मेरे द्वंद से तुम सब को खामोश होते देखा,
देखा मैंने शिकन की रेखाओं को उभरते..
ना जता सका देखा तुझे चुप चाप कुछ सहते हुए !
क्यों किस उम्मीद से नजरे उठाते हो मेरी तरफ,
ये उम्मीद ही जो मुझे मुझसा ही नही होने देता,
दिन ढले दबे पावं लौटते उस अस्ताचल में,
नही छोरते आस लौटने की मेरी अगली सुबह !
ना जिद है मेरी और ना खता भी कोई मेरी ..
रहनुमा बन के, अब हर सजा ही तो है मेरी !
पर हँस देता हूँ.. दूर तक छाई सन्नाटे में एक दरार को लाने..
हँसा तो दू सबको, पर मसखरे की ख़ामोशी का क्या …( क्रमशः …. )
सुजीत

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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