मसखरे की ख़ामोशी का क्या
मेरे द्वंद से तुम सब को खामोश होते देखा, देखा मैंने शिकन की रेखाओं को उभरते.. ना जता सका देखा तुझे चुप चाप कुछ सहते हुए ! क्यों किस उम्मीद …
मसखरे की ख़ामोशी का क्या Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
मेरे द्वंद से तुम सब को खामोश होते देखा, देखा मैंने शिकन की रेखाओं को उभरते.. ना जता सका देखा तुझे चुप चाप कुछ सहते हुए ! क्यों किस उम्मीद …
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