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सांसे भी खत्म हो रही अनगिनत रोज,
जिंदगी बदल भी रही, आगे भी बढ़ रही;
जब सोचता हूँ आगे एक दशक की बातें,
लगता एक इंतेजार तो है जो इस सफर में,
मुझे ढो के ले जायेगा, उस गंतव्य तक जो बस सपनों में ही बना है !
आगे जब भी कठिन क्षणों को देखता सोचता;
लगता ये रास्ता बता रहा …
इस दिल में अभी और जख्मो की जगह है !
दो चार शब्द हँसी के ही, तुझे खास बनाता ;
बड़े ही गंभीर जिंदगी के सोचों के बाद उसने ये कहा;
कहाँ जिंदगी तो बसर ही हो रही,
चंद सिक्के है जिन्होंने अपना मोल अभी नही खोया –
“हँसी ..यादें ..और उनमें जीये मेरे लम्हें..”
इतना कहकर वो रात की बात में खो गया फिर नींद के आगोश में !
In Night & Pen : #SK ( Aug-7-2013 ) — feeling :Before Dawn.