कभी कशमकश में हाल पूछा होता !किस कदर अब ना कोई हँसता है,
बस सवाल की गहराहियों में दफ्न हो,
क्या कुछ सोचता है अब !
ना जाना कभी ना पूछा कभी,
दबे पावं झाँक के जाते तो रोज देखा,
कभी दौड़ के आते रोक के देखा होता !
शामिल है हर ख़ुशी में तेरे जो,
उसकी खुशी खो जाने का सवाल पूछा होता !
आहटों में बहल जाने का लगन है उसे,
नयनों में एक दिन तेरे आ जाने का चमक,
उस तरस को कभी एक पल तो सोचा होता !
यूँ तो सुबह हो ही जाती किसी खातिर,
कितनी पहर बीत जाती किसी खाली रातों में,
सहूलियत से हर दफा किस्सा छेरते,
कभी कशमकश में हाल पूछा होता !
□■ SK ■□
jawaab nahin hote kabhi
silently hmare pas answer hote but hum convey nhi krte !!!