गिरह – Knot of Life : #Night & #Pen !
गिरह ऐसी भी नहीं थी की टूट जाती, हाँ कुछ बन्धन जो वक्त, मायूसी, खामोशी के थे ..सब आजाद है अब ! मैं इस इल्जाम का इतना भी हक़दार नहीं …
गिरह – Knot of Life : #Night & #Pen ! Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
गिरह ऐसी भी नहीं थी की टूट जाती, हाँ कुछ बन्धन जो वक्त, मायूसी, खामोशी के थे ..सब आजाद है अब ! मैं इस इल्जाम का इतना भी हक़दार नहीं …
गिरह – Knot of Life : #Night & #Pen ! Read MoreMine and Your Words, May never together so more … Listening to silence, Now A Faded vigor … Sound of seashore steady ensure, like a dawdling night hurting so more …
Words of Night – #Micropoetry Read Moreजिस्म थक जाता है दिन से रूबरू होकर … नींद से पहले जो आधे अधूरे थोड़े से, अब जो भी ख्वाब आ जाते मैं उन्हें समझा दूँगा ! आठ पहर …
अब जो भी ख्वाब आ जाते … Read Moreसहूलियत से हर दफा किस्सा छेरते, कभी कशमकश में हाल पूछा होता !किस कदर अब ना कोई हँसता है, बस सवाल की गहराहियों में दफ्न हो, क्या कुछ सोचता है …
कुछ पूछा होता – Sometimes I feel ? Read Moreजब रात तमस बड़ी गहरी थी,सहमी सी और सुनी थी ! घना अँधेरा धरा पर आता,शहर घना जंगल बन जाता ! मद में विचरते कुंजर वन में,विषधर ब्याल रेंगते राहों …
एक रात शहर की – Devils of Dark Night …! Read Moreना खता जतायी ..ना खबर बताई ..ये इरादा चुप रहने का ..उम्मीदों पर बोझ बन रहा ! किश्तों किश्तों में ढूंढता,कहीं यादें कम ना पर जाये,तेरे लौट आने तक ! …
आहट सी तेरी .. Read More