
तुम आओ लौट के …
तुम आओ लौट के, देखो सिलवटें बिछावन की, वैसी ही है अब भी । बिखरे बिखरे से पड़े है, सारे सामान मेरे तुम्हारे । देखो हरतरफ हरजगह की, सब चीजेँ …
तुम आओ लौट के … Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
तुम आओ लौट के, देखो सिलवटें बिछावन की, वैसी ही है अब भी । बिखरे बिखरे से पड़े है, सारे सामान मेरे तुम्हारे । देखो हरतरफ हरजगह की, सब चीजेँ …
तुम आओ लौट के … Read Moreबहुत दूर से ये रिश्ता, धुँधला धुँधला सा लगता, कभी कभी आकर वो इसे, इक नाम दे जातें है ! हाँ में रुकसत भी नहीं करता, ना ही थामता हूँ …
दूर से ये रिश्ता … Read Moreखामोश ही सही, पर रहों आसपास बनकर ! बिखर जाओ भले, रह जाओ एक अहसास बनकर ! दूर जाने से किसे कौन रोके, ठहर जाओ बस कुछ याद बनकर ! …
बैठे हो क्यों ख्वाब बन कर ? Read More