किस उल्फ्तों में खोये रहते हो ?

यहाँ जिंदगी से जी नहीं भरता, तुम किस उल्फ्तों में खोये रहते हो ! उदास शाम में देखों लौटते चेहरों को, सब आगोश है नींदों के ही इन पर छाये …

किस उल्फ्तों में खोये रहते हो ? Read More

वक्त की आपा धापी को सिरहाने नहीं मिलते !

सृजन के शब्दों को सहारे नहीं मिलते ! वक्त की आपा धापी को सिरहाने नहीं मिलते ! कोशिश जब की ख्वाबो को चुराने की, रातों को नींद के बहाने नही …

वक्त की आपा धापी को सिरहाने नहीं मिलते ! Read More