कल का नशा …. #SK
कल का नशा आज चेहरे पर, धीमे धीमे आँखों से उतर जाता ! दिन की थकन रात की आगोश में जाती; सुबह होती और फिर सब संवर जाता ! बिखरा …
कल का नशा …. #SK Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
कल का नशा आज चेहरे पर, धीमे धीमे आँखों से उतर जाता ! दिन की थकन रात की आगोश में जाती; सुबह होती और फिर सब संवर जाता ! बिखरा …
कल का नशा …. #SK Read Moreयहाँ जिंदगी से जी नहीं भरता, तुम किस उल्फ्तों में खोये रहते हो ! उदास शाम में देखों लौटते चेहरों को, सब आगोश है नींदों के ही इन पर छाये …
किस उल्फ्तों में खोये रहते हो ? Read Moreयूँ राह में, डगर में, छोड़ के चले जो हमसफर .. मगरूर बन, आवाज न देंगे, मेरे हमसफर ! गुजरे पल बीते, जैसे बीते गये हर पहर .. गुम से …
मेरे हमसफर Read Moreगली गली भूले है कई रस्ता ! पीठ झुकी कैसा है ये बस्ता ! खाक से सपने देखते हो , नींद रहा अब इतना क्या सस्ता ! देख चेहरे रुखी …
हर सुकून तुझमें ही बसता ! Read Moreसृजन के शब्दों को सहारे नहीं मिलते ! वक्त की आपा धापी को सिरहाने नहीं मिलते ! कोशिश जब की ख्वाबो को चुराने की, रातों को नींद के बहाने नही …
वक्त की आपा धापी को सिरहाने नहीं मिलते ! Read More