पूरी रात ही बरसी बारिश,
पूरी रात बूंदों का शोर था !
पूरी रात जो ख़ामोश रहा,
पूरी रात वो कोई और था !
पूरी रात रहा कोरा ही कागज़,
पूरी रात नज्म पर बूंदों का जोर था !
पूरी रात खिड़की के काँच पर फिसली बूंदे,
पूरी रात उसका चेहरा हर ओर था !
पूरी रात ही भींगी खाली सड़के,
पूरी रात सूना सूना हर मोड़ था !
पूरी रात ही बरसी बारिश …
#SK
barish ke samay me aapki kavita achchi hain
hello sir इतना बढिया poem देने के लिए thanks.मैनें एक blog http://www.studytrac.blogspot.com बनाया है,इसपर पढाई,सफलता और नौकरी से जुडी जानकारियाँ दिया गया।आप से एक request है मै bloggingके बारे ज्यादा नही जानता हूँ please एक बार मेरे blog पर आइए और किसी भी प्रकार की कमी होने पर comment के माध्यम से मुझे बताएँ। thanks.I will wait for you.
badhiya kavita