थम गये हैं हम और तुम भी ;
नहीं थमा ये वक़्त का पहिया ;
चलता रहा दुर जाता रहा ;
अब सफर के दो दिशाओं में ;
मुमकिन न होगा मिलना !
पैगामों की आवाजाही भी बंद है,
न ही अब खतों के पुर्जे उड़ा करते,
हवायें मतवाली सी हो उठती तो,
खिड़की की छड़ों पर जा बैठती,
पाती तेरे नामों वाली ;
थोड़ी फरफराहट कर जैसे
लबों से नाम कह जाये तुम्हारा,
मैं झट से पकड़ लेता,
मोड़ कर तकिये की नीचे रख देता,
रात में फिर पढूँगा पुराने खतों को,
नया लब्ज देके मैं ।
एक हाथ दे दो,
खींच लो इस वक़्त से हमें,
बस थम गये हैं हम और तुम भी !
– Sujit
2 thoughts on “थम गये हैं ..”
gyanipandit
(May 4, 2015 - 3:35 am)great collection..inspiring as previous collection!
Sujit Kumar Lucky
(May 4, 2015 - 7:04 pm)Thanks a lot !
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