बिखर सा क्यूँ गया !
ख्वाब है ..जिसको सजाने की चाहत,या झुंझलाहट है इस तोड़ देने की ! चल ही दिया दो चार कदम तो क्या,बीता ही कुछ पल साथ तो क्या ! सब कहके …
बिखर सा क्यूँ गया ! Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
ख्वाब है ..जिसको सजाने की चाहत,या झुंझलाहट है इस तोड़ देने की ! चल ही दिया दो चार कदम तो क्या,बीता ही कुछ पल साथ तो क्या ! सब कहके …
बिखर सा क्यूँ गया ! Read Moreकिस्तों किस्तों में सुबह..किस्तों किस्तों में होती शाम ! किस मुफलिशी के मारे..हो गये देखो गुमनाम ! इस सफर को क्या नाम दोगे..बस राहों को दे दो कुछ नाम ! …
The Paths of Destiny Read MoreLife Like Lust Of Living..Lost In Lunar Landscapes! Love Like Lean Lighthouse..Let Leave As Losel Lineate! Little Lamp of Light..Lack of Lite Luck Lapse! Lot of Lavish in Live or …
Life Lost In Lunar Landscapes! Read Moreसवा पहर का रात वो ..वक्त टूटी ..नींद छुटी,आवाज दे गए थे शायद,देखा सिरहाने कुछ लब्ज थे परे,गुनगुनाये तेरे, कह गए बात कुछ ! बीती रात का भ्रम सही या,या …
□ ■ Dreams of Night □ ■ Read Moreयूँ तो रंग बहुतेरे ए जिंदगी ..कुछ दिखा रंग कुछ छिपा रंग ! कुछ रंगों ने रंग दिया हमें..कुछ रंगों ने ठग लिया हमें ! कुछ रंग थे जैसे एक …
Faint And Fairy Colors of Life ! Read Moreक्योँ अलग विजाती से बैठे,आँगन के उस पार अकेले,ढोल नगारे कानों से टकरा कर,वहीँ निस्तब्ध से हो चले,गुमसुम से बस तकते उस भीड़ को,हिस्सा जो नहीं उस उत्सव का मैं …
लाल स्याही … A Treasure ! Read More