नव वर्ष – फिर सजेगी बिसातें !
नव वर्ष जैसे बारह खानों में फिर सजेगी बिसातें, हर दिन की कहानी और किरदारों का रंगमंच ! कुछ कोसते हुए चालें चाली गयी होंगी, कुछ दंभ टूटा होगा किसी …
नव वर्ष – फिर सजेगी बिसातें ! Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
नव वर्ष जैसे बारह खानों में फिर सजेगी बिसातें, हर दिन की कहानी और किरदारों का रंगमंच ! कुछ कोसते हुए चालें चाली गयी होंगी, कुछ दंभ टूटा होगा किसी …
नव वर्ष – फिर सजेगी बिसातें ! Read Moreलंबी समांतर रेखा खींचता हुआ ये काफिला जिंदगी का बहुत दूर हो आया था; ऐसे कितने दफा कोशिश की, साथ साथ चलती ये रेखाएँ काट के निकल जाये, अपने गंतव्य …
गंतव्यविहीन … In Night & Pen Read Moreसर्द हवाओं ने ये महसूस कराया; फ़िक्र लौट आयी थी उनकी आज ! फिर कुछ सरसरी हवा छु गयी होगी, फिर अब बचपन लौट गयी होगी ! ना मानी होगी …
शीत की आँगन ! Read Moreमैं अब कैसे शिकायत भी करू तुमसे, तुम खफा हो के कुछ और दूर चले जाओगे ! ये फासले या वक्त की क्या साजिशे थी, कुछ खोने का अहसास अब …
कुछ खोने का अहसास ! Read Moreमैं अपनी हर रीत निभा रहा .. जिंदगी तू भी अब साथ दे थोड़ा ! मैं हर सुबह चहक उठता; पर तू शाम तलक मायूस कर देता ! चलो छोड़ …
जिंदगी तू भी अब तो साथ दे थोड़ा !! Read Moreजब शब्दें खामोश हो जाती, तब तस्वीरें बोलती, इनमे छुपा होता एक मर्म, एक वक्त .. एक याद .. एक पुकार … एक खामोशी .. एक कला .. एक आत्मा …
जब शब्द खामोश हो – तस्वीरें बोलती : My Paintbrush & Art Collection Read More