नव वर्ष – फिर सजेगी बिसातें !

नव वर्ष जैसे बारह खानों में फिर सजेगी बिसातें, हर दिन की कहानी और किरदारों का रंगमंच ! कुछ कोसते हुए चालें चाली गयी होंगी, कुछ दंभ टूटा होगा किसी …

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गंतव्यविहीन … In Night & Pen

लंबी समांतर रेखा खींचता हुआ ये काफिला जिंदगी का बहुत दूर हो आया था; ऐसे कितने दफा कोशिश की, साथ साथ चलती ये रेखाएँ काट के निकल जाये, अपने गंतव्य …

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जिंदगी तू भी अब तो साथ दे थोड़ा !!

मैं अपनी हर रीत निभा रहा .. जिंदगी तू भी अब साथ दे थोड़ा ! मैं हर सुबह चहक उठता; पर तू शाम तलक मायूस कर देता ! चलो छोड़ …

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जब शब्द खामोश हो – तस्वीरें बोलती : My Paintbrush & Art Collection

जब शब्दें खामोश हो जाती, तब तस्वीरें बोलती, इनमे छुपा होता एक मर्म, एक वक्त .. एक याद .. एक पुकार … एक खामोशी .. एक कला .. एक आत्मा …

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