थे साथ कभी – All Together ??

इन राहों से कितने बिछड़े,जहाँ हर सुबह महफ़िल बनती थी, पूछते थे खबर हर यारों की, तेरे रंग मेरे रंग बादलों सी सजती,मन सपने बुनती संवरती..और फिर धुँधली सी परती …

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एक साँझ की हलचल – An Evening Swirl

दो झूले और बच्चे कतार में, फीकी हरयाली इस छोटे से बाग में ! पेड़ छोटे, इस शहर की रंगचाल में,दायरा आसमां ने भी समेटा,लंबी लैम्पपोस्टो की आढ़ में ! …

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ख़ामोशी लिपटी थी ….

कुछ यूँ बीती रात लंबी हो चली थी,दबा रखे थे सवाल कई.. तुमसे पूछेगे..!आज कोई फिर आके आवाज दे गया जैसे ! हो फिर मोह कोई तुझसे,या तृष्णा कुछ, जो …

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Social Media Criticism – एक विचार

एक विचार : सोशल मीडिया की आलोचना सोशल मीडिया की आलोचना करना वर्तमान संदर्भ में सर्वथा उचित नही है !हर पक्ष के दो पहलु होते, परमाणु बम सी विध्वंशक शक्ति का …

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