चाँद रात की आगोश में था छुपा छुपा, दिन हुए फिर ओझल हुआ जा रहा वही ! ये कौन है जो इन से परे हक़ बता रहा कोई, वक़्त की सारी कोशिशे है पास लाने की, हर तरफ ऐसा लगता दूर जा रहा कोई !
आहट बता रहा तेरे होने की, दिल सोचता आ रहा कोई और जा रहा कोई, ख्वाबों ख्यालों में किस्से अनेको मिलते, सच से रूबरू अब करा रहा कोई !
वक़्त मुताबिक नही न मुक्क्दरों से वास्ता, हर लम्हों को फलक पर गिरा रहा कोई !
वो दिन तो बदल जायेगा किसी दिन, गुजरते शाम सुबह जो कीमत चूका रहा कोई !
Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज