
रात और सुबह
रात अकेली है रो लो, गिरा लो आँसू कोरो से, बस सुबह जब निकलों, इस तरह की बनावट ले निकलना, चेहरों पर ; न शिकन ही रहे कोई न बचे …
रात और सुबह Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
रात अकेली है रो लो, गिरा लो आँसू कोरो से, बस सुबह जब निकलों, इस तरह की बनावट ले निकलना, चेहरों पर ; न शिकन ही रहे कोई न बचे …
रात और सुबह Read Moreचाँद रात की आगोश में था छुपा छुपा,दिन हुए फिर ओझल हुआ जा रहा वही !ये कौन है जो इन से परे हक़ बता रहा कोई,वक़्त की सारी कोशिशे है …
एक कोई – Anonymous Thoughts of Morning Read More