कुछ तलाशते रहे सभी !
वो कलह की दास्तान कहते रहे ! और कोलाहल में अनसुना करते सभी ! बातें फेहरिस्त लंबी हुई इतनी, जेहन में कुछ समाते ही नही सभी ! कोई मानता ही …
कुछ तलाशते रहे सभी ! Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
वो कलह की दास्तान कहते रहे ! और कोलाहल में अनसुना करते सभी ! बातें फेहरिस्त लंबी हुई इतनी, जेहन में कुछ समाते ही नही सभी ! कोई मानता ही …
कुछ तलाशते रहे सभी ! Read Moreकिन सपनों को तलाशे, जिसे अधखुले आँखों ने कभी आने ही ना दिया ! या जिन्हें नींद के सौतेलेपन ने, आने से पहले तोड़ दिया ! वक्त की उड़ानो ने …
ए जिंदगी तुझे कुछ ऐसा ही समझा ! Read Moreकुछ यूँ हुआ … हाथों में गुब्बारे थे रंगीले सबके, और कुछ छुपा रखा था खंजर जैसा ! कदम जब जब बढ़े थे हमारे , राह क्यों बन गया था …
हाथों में गुब्बारे थे रंगीले ! Read More