कुछ तलाशते रहे सभी !

वो कलह की दास्तान कहते रहे !
और कोलाहल में अनसुना करते सभी !
बातें फेहरिस्त लंबी हुई इतनी,
जेहन में कुछ समाते ही नही सभी !
कोई मानता ही नही कितनी बंजर है दरख्ते,
पत्थरों के बीच कुछ तलाशते रहे सभी !
अभी अभी छाया जो नशा बिखरने का,
रूबरू हो कर भी उसे नकारते रहे सभी !
बेबाक होके कहता रहा, नहीं है ये अब वो दामन,
माना नही हँस कर हाथ थमाते गए सभी !
रात सिमटी रही अपने दायरे में कहीं,
और खुली आँखों से बिताते रहे सभी !
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About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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