
कुछ दिन जब …
कुछ दिन जब तुम नहीं बोलते, कुछ दिनों की चुप्पी होती, फिर बोलने लगती हर चीजें तुम्हारी तरह । सुबह सुबह खिड़की के पर्दो से झाँकती है धुप, तुम्हारी शक्ल …
कुछ दिन जब … Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
कुछ दिन जब तुम नहीं बोलते, कुछ दिनों की चुप्पी होती, फिर बोलने लगती हर चीजें तुम्हारी तरह । सुबह सुबह खिड़की के पर्दो से झाँकती है धुप, तुम्हारी शक्ल …
कुछ दिन जब … Read Moreयहाँ जिंदगी से जी नहीं भरता, तुम किस उल्फ्तों में खोये रहते हो ! उदास शाम में देखों लौटते चेहरों को, सब आगोश है नींदों के ही इन पर छाये …
किस उल्फ्तों में खोये रहते हो ? Read Moreजब जब उस राह से गुजरते..कुछ चुप्पी संजीदा सी उभरती थी ..मौज ठहर जाती इन चेहरों से ..वही खुशबू बिखर जाती थी आसपास ! सवाल तो अब खुद खामोश हो …
जब उस राह से गुजरे ! Read More