ख़ामोशी को लौटते देखा … Quietness Returns

किसी ख़ामोशी को लौटते देखा है ; वैसे ही लिबास में ; पुराने लिबास में । हाँ सजे संवरे .. बिना किसी आहट के ; फिर नजरों के सामने पुनः …

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कभी देखते मेरी नजरों से तो जान पाते – Feel Again

वो शीत की धुप गिरती तुम पर,भिगोती तुझे और चमक जाती,अनेकों लकीरें तेरी चेहरों पर ! कभी देखते मेरी नजरों से तो जान पाते ! उबड़ खाबड़ राहों पर देख …

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फिर बात मेरी .. Yet Again

ये किस जवाब के बदले..फिर कुछ सवाल थे तुम्हारे ! हँस कर ही खामोश हो चले हम..बहल ही गया ना फिर,बात अपना अनेकों इन्तेजार करके ! फिर वही कुछ पुराने …

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