जीवन ऐसे ही बढ़ता !!
दिन बोझिल हो बेजार जब, तन कुछ भी ना कहता, कुछ ख्वाबों को इस रात का, जब इक पनाह है मिलता ! सुबह फिर वही वैसी ही होगी, तब ही …
जीवन ऐसे ही बढ़ता !! Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
दिन बोझिल हो बेजार जब, तन कुछ भी ना कहता, कुछ ख्वाबों को इस रात का, जब इक पनाह है मिलता ! सुबह फिर वही वैसी ही होगी, तब ही …
जीवन ऐसे ही बढ़ता !! Read Moreमौन हूँ ..खो गया हूँ में आस पास;इस भीड़ में ! लड़खड़ा जाती है शब्दें,टूट जाती है पंक्तियाँ,पूर्ण कर दो अधूरे संवादों को,एक पूर्णविराम देकर ! विस्मित है मन,भ्रम कैसा …
पूर्णविराम – Epic Life ! Read Moreवो कहते थे ये शहर है, ऐसा !करीब से देखिये शायद जान जायेगें ! कब तक यूँ मुसाफिर रहते !एक पराव एक आशियाँ तलाशा ! अब इस कदर बस गयी …
ये शहर ! Read More