Life Obstacles Poem

जीवन संघर्ष से कैसा डर …

नियति पर नियंत्रण नहीं, परिस्थितियों का मौन आवरण, क्यों मन तू होता आकुल ? व्यर्थ के चिंता से व्याकुल ! तू पार्थ सा संग्राम में, नियति को दे आमंत्रण, चुनौती …

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