![morning and night poem](http://www.sujitkumar.in/wp-content/uploads/2017/10/are-blue-1732888_640.jpg)
रात और सुबह
रात अकेली है रो लो, गिरा लो आँसू कोरो से, बस सुबह जब निकलों, इस तरह की बनावट ले निकलना, चेहरों पर ; न शिकन ही रहे कोई न बचे …
रात और सुबह Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
रात अकेली है रो लो, गिरा लो आँसू कोरो से, बस सुबह जब निकलों, इस तरह की बनावट ले निकलना, चेहरों पर ; न शिकन ही रहे कोई न बचे …
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