अब जो भी ख्वाब आ जाते …
जिस्म थक जाता है दिन से रूबरू होकर … नींद से पहले जो आधे अधूरे थोड़े से, अब जो भी ख्वाब आ जाते मैं उन्हें समझा दूँगा ! आठ पहर …
अब जो भी ख्वाब आ जाते … Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
जिस्म थक जाता है दिन से रूबरू होकर … नींद से पहले जो आधे अधूरे थोड़े से, अब जो भी ख्वाब आ जाते मैं उन्हें समझा दूँगा ! आठ पहर …
अब जो भी ख्वाब आ जाते … Read Moreसवा पहर का रात वो ..वक्त टूटी ..नींद छुटी,आवाज दे गए थे शायद,देखा सिरहाने कुछ लब्ज थे परे,गुनगुनाये तेरे, कह गए बात कुछ ! बीती रात का भ्रम सही या,या …
□ ■ Dreams of Night □ ■ Read Moreएक अल्ल्हर बातें है जैसे, सपने का पलना हो जैसे !अठखेली हवाओं जैसी !बावरी मन चंचल हो जैसी ! आशाओं की डोरी सी !बातें करती पहेली सी, एक तस्वीर …. …
अल्ल्हर बातें ! Read More