अब जो भी ख्वाब आ जाते …

जिस्म थक जाता है दिन से रूबरू होकर … नींद से पहले जो आधे अधूरे थोड़े से, अब जो भी ख्वाब आ जाते मैं उन्हें समझा दूँगा ! आठ पहर …

अब जो भी ख्वाब आ जाते … Read More